सोमवार, 17 मई 2010

खण्डहर

खण्डहर पुकार रहे हैं
मैं बीता हुआ कल हूं
अतीत की लाश हूं
मुझे हटाओ
नया बनाओ

पर मुझे उनकी आवाज सूनाई नहीं देती
और आंखों के सामने खुली सच्चाई दिखाई नहीं देती
मैं खण्डहर भक्त हूं
खण्डहर के शत्रु मूझे समाज के शत्रु प्रतीत होते हैं
यद्यपि मैं अंधा हूं और शायद बहरा भी
पर दूसरे को अंधा कहने का मुझे हक है

कभी इस इमारत की अलग ही शान थी
इस इलाके में इसकी पृथक पहचान थी
मुझे बचपन से ही कथाओं से प्रेम है
अंतर केवल इतना है
पहले मै कथा केवल सुनता था
अब उन्हें सच भी मानता हूं

जोर की आवाज आई
खण्डहर की दीवारें भी गिर गई
अब यह मलबा सडक मे अवरोध पैदा कर रहा है
आने जाने वालों को दिक्कत हो रही है
पर मैं उन्हे नहीं हटाने दूंगा
आखिर आम नहीं खास हूं
एम ए पास हूं

खण्डहर कभी महल थे
यह बात सच है
खण्डहर अब केवल खण्डहर हैं
यह बात भी सच है

खण्डहर की वस्तुएं अजायबघर की शोभा बढाती हैं
घर की शोभा नष्ट करती हैं
हमारी जवाबदेही हैं
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